चंद्रघंटा
चंद्रघंटा
माँ चंद्रघंटा नवरात्रि के तीसरे दिन की पूजा की जाती है। वह माता दुर्गा के नौ रूपों में से तीसरा रूप हैं।
माँ चंद्रघंटा का अर्थ:
चंद्रघंटा शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है - "चंद्र" और "घंटा"। "चंद्र" का अर्थ है चंद्रमा और "घंटा" का अर्थ है घंटी। इसलिए चंद्रघंटा का अर्थ है चंद्रमा की तरह चमकने वाली घंटी।
माँ चंद्रघंटा की कहानी:
माँ चंद्रघंटा की कहानी इस प्रकार है:
माता चंद्रघंटा ने भगवान शिव के साथ मिलकर असुरों का विनाश किया। उन्होंने अपनी घंटी से असुरों को पराजित किया। इसलिए उन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा का महत्व:
माँ चंद्रघंटा की पूजा का महत्व इस प्रकार है:
- शांति और सौम्यता की प्राप्ति
- सुख और समृद्धि की प्राप्ति
- रोग और शोक की निवृत्ति
- आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति
माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि:
माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि इस प्रकार है:
- स्नान और शुद्धि
- माँ चंद्रघंटा की मूर्ति या चित्र की पूजा
- आरती और भजन
- हवन और प्रसाद का वितरण
माँ चंद्रघंटा के मंत्र:
माँ चंद्रघंटा के मंत्र इस प्रकार हैं:
- "ॐ ऐं चंद्रघंटायै नमः"
- "ॐ श्रीं चंद्रघंटायै नमः"
माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति को शांति, सौम्यता, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
माँ चंद्रघंटा के गुण:
माँ चंद्रघंटा के गुण इस प्रकार हैं:
- शांति और सौम्यता
- सुख और समृद्धि
- आध्यात्मिक ज्ञान
- रोग और शोक की निवृत्ति
माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति इन गुणों को प्राप्त कर सकता है।
चंद्रघंटा
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